‘माता का आँचल’ पाठ में लेखक का नाम तारकेश्वरनाथ से भोलानाथ कैसे पड़ा ?
उत्तर – लेखक के पिता सुबह जल्दी उठते थे। वे अपने साथ-साथ लेखक और उसके भाई को भी उठा देते थे और उन्हें नहलाकर कर पूजा में बिठाते थे। पूजा पूरी होने के बाद में दोनों बेटों के माथे पर चंदन की अर्धचंद्राकार आकृति बनाते थे। लेखक और उसके भाई दोनों पर लंबे बाल होने की वजह से यह भभूत बहुत अच्छी लगती थी। इसीलिए पिता लेखक को प्यार से भोलानाथ कहकर पुकारते थे। इसी प्रकार ‘माता का आँचल’ पाठ में लेखक का नाम तारकेश्वर नाथ से भोलानाथ पड़ गया।