‘माता का आँचल’ पाठ में चबूतरे पर खेती करने के नाटक का वर्णन कीजिए।

‘माता का आँचल’ पाठ में चबूतरे पर खेती करने के नाटक का वर्णन कीजिए।

उत्तर –  ‘माता का आँचल’ पाठ में जब भोलानाथ अपने साथियों के साथ चबूतरे पर खेती करने का नाटक करते थे। तब चबूतरे के छोर पर घिरनी बनाई जाती और उसके नीचे की गली कुआं बन जाती थी। मूँज की बटी हुई पतली रस्सी में एक चुक्कड़ बांध गराड़ी पर चढ़ाकर लटका दिया जाता और दो लड़के बैल बनकर ‘मोट’ खींचने लग जाते थे। चबूतरा खेत बनता, कंकड़ बीज बनते थे। बड़ी मेहनत से खेतों को जोता जाता और जल्दी ही फसल भी तैयार हो जाती और उसे साथ के साथ काट लेते थे। फसल काटते समय सभी साथी मिलकर गीत भी गाते थे।