पुरुषार्थ को परमात्मा का स्वरूप Class 9 नैतिक शिक्षा (मध्यमा ) Chapter 1 Question Answer – HBSE Solution

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HBSE Class 9 Naitik Siksha Chapter 1 पुरुषार्थ को परमात्मा का स्वरूप Question Answer for Haryana Board of नैतिक शिक्षा Class 9th Book Solution.

पुरुषार्थ को परमात्मा का स्वरूप  Class 9 Naitik Siksha Chapter 1 Question Answer


प्रश्न 1. अन्तिम या 700वें श्लोक में संजय धृतराष्ट्र को सम्बोधित करते हुए क्या कहते हैं?

उत्तर – अन्तिम या 700वें श्लोक में धृतराष्ट्र को सम्बोधित करते हुए संजय कहते हैं कि हे राजन् ! जहाँ योगेश्वर भगवान् श्रीकृष्ण हैं और जहाँ गांडीवधारी अर्जुन हैं, वहीं पर विजय, श्री और विभूति का होना निश्चित है। यही अचल नीति है तथा यहीं मेरा मत है।


प्रश्न 2. अपने भीतर की विलक्षण विचार शक्ति को जगाकर हम किस प्रकार लाभान्वित हो सकते हैं?

उत्तर – अपने भीतर की विलक्षण विचार शक्ति को जगाकर हम अपने जीवन में साहस, उत्साह और दृढ़ निश्चय की भावना के साथ जीवन को जीने का संकल्प कर सकते हैं। विचार शक्ति के जागृत होने पर हम जीवन में कभी भी अधर्म के साथ नहीं होंगे। हम हमेशा धर्म और सच्चाई के मार्ग पर ही चलेंगे।


प्रश्न 3. अर्जुन को ही श्रीकृष्ण का आश्रय क्यों मिला?

उत्तर- अर्जुन को ही श्रीकृष्ण का आश्रय इसलिए मिला, क्योंकि अर्जुन सत्य के मार्ग पर चलने वाले थे। उन्होंने कभी भी अधर्म का साथ नहीं दिया, आजीवन धर्म के साथ रहे। वे अपने आराध्य भगवान् श्रीकृष्ण के प्रति अटूट श्रद्धा, पूरी निष्ठा, समर्पण और विश्वास के कर्म करते रहे। उनमें अहंकार नहीं था।


प्रश्न 4. जीवन में सुख और ऐश्वर्य होने के बावजूद भी पतन की संभावनाएँ क्यों बनी रहती हैं?

उत्तर- जीवन में सुख और ऐश्वर्य होने के बावजूद भी पतन की संभावनाएँ बनी रहती हैं क्योंकि हम इनके साथ नीति को नहीं अपनाते। क्योंकि यदि विजय के साथ विभूति नहीं और सुख के साथ सन्मति नहीं तो यह सब मिलने पर भी कहीं-न-कहीं पतन की संभावनाएँ बनी रहती हैं। हमें पतन से सावधान रहना चाहिए। हमें जीवन में सत्य, धर्म और नीति का ही सहारा लेना चाहिए। सुख एवं ऐश्वर्य के साथ सन्मति का होना जरूरी है।


आपकी समझ –


प्रश्न 1. गीता हमें प्यारी क्यों है?

उत्तर – जिस प्रकार माँ चाहती है कि मेरा बच्चा किसी भी कार्यक्षेत्र में असफल न हो और वह हर क्षेत्र में ऊँचाइयों की ओर अग्रसर होता रहे। उसी प्रकार गीता चाहती है कि मेरे उपदेशों का अनुसरण करने वाला मेरा बच्चा जीवन में कामयाब हो। जीवन में कभी भी उसका पतन न हो। इसलिए गीता हमें प्यारी है।


प्रश्न 2. यदि विद्यार्थी जीवन में जागरूकता आ जाए तो आप किस प्रकार लाभान्वित हो सकते हैं?

उत्तर – यदि विद्यार्थी जीवन में जागरूकता आ जाए तो विद्यार्थी अपने-अपने पठनीय विषयों का पूरी निष्ठा, तन्मयता और ईमानदारी से अध्ययन करेंगे जिससे उन्हें सफलता अवश्य मिलेगी, क्योंकि जहाँ जागरूकता है, वहीं अपने-अपने कार्य को कुशलता के साथ करने का उत्साह व उमंग है। अतः जागरूकता से हम अपने जीवन के हर क्षेत्र में कुशलता प्राप्त कर सकते हैं।