कर्म ही जीवन का आधार Class 10 नैतिक शिक्षा (मध्यमा ) Chapter 4 Question Answer – HBSE Solution

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HBSE Class 10 Naitik Siksha Chapter 4 कर्म ही जीवन का आधार Question Answer for Haryana Board of नैतिक शिक्षा Class 10th Book Solution.

कर्म ही जीवन का आधार Class 10 Naitik Siksha Chapter 4 Question Answer


पाठ से-


प्रश्न 1. मंदिर जाना, माला फेरना आदि कब पूजा बनते हैं तथा गीता की उदारता क्या है?

उत्तर- गीता कर्म के सिद्धांत पर आधारित ग्रंथ है। कोई भी कर्म यदि हम सच्चे मन से करते हैं तो वह कर्म पूजा का रूप धारण कर लेगा, क्योंकि हमारी चेतना में परमात्मा का वास है। मंदिर जाना, माला फेरना या पूजा-पाठ करना तभी पूजा बनते हैं जब हम इसे सच्चे मन से करते हैं। हमारे द्वारा बाहरी दिखावे के रूप में किया गया जप-तप, पूजा-पाठ आदि पूजा का रूप धारण नहीं कर सकते। गीता की उदारता यही है कि वह हमें प्रत्येक कार्य में ईश्वर की सत्ता व उसकी सर्वशक्तिमत्ता का अनुभव कराती है। इसलिए हम अपने प्रत्येक कार्य में ईश्वरीय भाव को लेकर कर्म पथ पर अग्रसर होते रहें।


प्रश्न 2. सृष्टि परमात्मा से बनी है, उसी की शक्ति से चल रही है-ऐसा जान लेने का क्या लाभ होगा?

उत्तर- सृष्टि परमात्मा से बनी है और उसी की शक्ति से चल रही है-ऐसा जान लेने का लाभ यह होगा कि मनुष्य को कदम-कदम पर परमात्मा की अनुभूति होगी। वह जो कर्म करेगा, अहंकार-रहित होकर करेगा। अहंकार-रहित होकर कर्म करने से मनुष्य के अन्दर आसक्ति, ईर्ष्या, द्वेष आदि नकारात्मक वृत्तियाँ साथ नहीं आएँगी। ऐसा कर्म करने से मनुष्य का प्रारब्ध भी ठीक होगा और उसका भाग्य भी वैसा ही बनता जाएगा।


प्रश्न 3. परमात्मा कण-कण में है, यह भाव बने रहने से जीवन कैसा बनेगा?

उत्तर- परमात्मा कण-कण में है, यह भाव बने रहने से जीवन उज्ज्वल बन जाएगा। ईश्वरीय चेतना को स्वीकार करने से जीवन का आधार अच्छा होगा। जीवन का आधार अच्छा होने से कर्मों की प्रेरणा भी अच्छी होगी। इसके परिणामस्वरूप आगे का प्रारब्ध या भाग्य भी अपने आप अच्छा बन जाएगा। मैं जो भी कर्म कर रहा हूँ, उस कर्म को देखने वाला परमात्मा मेरे अंदर विराजमान है। जब ऐसा आत्मविश्वास हमारे अंदर जागृत हो जाएगा कि मेरे कर्म को परमात्मा देख रहा है तो हमें जीवन में सफलता अवश्य मिलेगी। ऐसा मानने या सोचने पर हम जीवन के पथ पर हमेशा अग्रसर होते रहेंगे।


प्रश्न 4. विद्यार्थी जीवन में पढ़ाई और घर में कैसे कर्म को हम पूजा बना सकते हैं?

उत्तर – विद्यार्थी जीवन में पढ़ाई और घर में अपने माता-पिता एवं बुजुर्गों की सेवा और उनके आदेश के द्वारा किए जाने वाले कर्म पूजा बन जाएँगे यदि हम उन्हें सच्चे मन से करेंगे।


प्रश्न 5. कहीं किसी भी रूप में सर्विस करते या कार्यरत होते हुए क्या कर्म को पूजा बनाया जा सकता है? यदि हाँ, तो कैसे?

उत्तर- कहीं भी किसी भी रूप में सर्विस करते या कार्यरत होते हुए कर्म को पूजा बनाया जा सकता है। यह बात बिल्कुल सही है। यदि हर व्यक्ति अपने-अपने कर्म को पूरी निष्ठा व ईमानदारी से करता है तो वह किसी भी पूजा से बढ़कर है। जैसे- शिक्षक, किसान, चिकित्सक, कलाकार आदि अपने-अपने प्रत्येक कर्म को परमात्मा का ध्यान करते हुए करते हैं तो वही पूजा कहलाएगा। मनुष्य के हृदय में चेतना के रूप में परमात्मा का निवास है। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति अपने कर्त्तव्य को यह मानकर करे कि यह कार्य ईश्वरीय कार्य है। इसलिए जिस कार्य को अपने अंदर के मन से करेंगे, तो वह कार्य वास्तव में पूजा बन जाएगा।