ज्ञान सभी को चाहिए Class 10 नैतिक शिक्षा (मध्यमा ) Chapter 7 Question Answer – HBSE Solution

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HBSE Class 10 Naitik Siksha Chapter 7 ज्ञान सभी को चाहिए Question Answer for Haryana Board of नैतिक शिक्षा Class 10th Book Solution.

ज्ञान सभी को चाहिए Class 10 Naitik Siksha Chapter 7 Question Answer


प्रश्न 1. विनोबा भावे के गीता के सम्बन्ध में क्या विचार हैं?

उत्तर – विनोबा भावे कहते हैं कि मेरा शरीर माँ के दूध पर जितना पला है उससे कहीं अधिक मेरा हृदय और बुद्धि दोनों गीता के दूध से पोषित हुए हैं।


प्रश्न 2. ज्ञान का क्या महत्त्व है? इसे किस प्रकार पाया जा सकता है?

उत्तर – त्याग-शक्ति पैदा करने के लिए ज्ञान चाहिए। योग सिद्ध व्यक्ति स्वयं ही इसको आत्मा में पा लेता है। यह आवश्यक नहीं कि यह ज्ञान हमें बड़ों से ही प्राप्त हो। यदि हमें अपने छोटों से भी ज्ञान मिले तो उसे प्राप्त करने में संकोच नहीं करना चाहिए।


प्रश्न 3. शारीरिक कमियों के विषय में अष्टावक्र के क्या विचार थे?

उत्तर – शारीरिक कमियों ने उसको कभी चिन्तित नहीं किया। वह जान चुका था कि शरीर आत्मा के वस्त्र की तरह है। जिस प्रकार फटे-पुराने वस्त्र, मनुष्य को आगे बढ़ने से नहीं रोक सकते, उसी प्रकार शारीरिक कमियों भी बाधक नहीं बन सकती।


प्रश्न 4. राजा जनक की सभा विद्वानों की सभा थी या नहीं? तर्क द्वारा स्पष्ट करो।

उत्तर – नहीं ,सभी सभासद अष्टावक्र की शारीरिक अवस्था को देखकर हँसे थे, जो कि उचित नहीं था।


प्रश्न 5. अष्टावक्र निर्भीक होने का क्या कारण था?

उत्तर – निरन्तर ज्ञान-साधना में जुटा रहने वाला अष्टावक्र निर्भीक हो गया। वह जान चुका था कि शरीर आत्मा के वस्त्र की तरह है। जिस प्रकार फटे-पुराने वस्त्र, मनुष्य को आगे बढ़ने से नहीं रोक सकते, उसी प्रकार शारीरिक कमियों भी बाधक नहीं बन सकती।


प्रश्न 6. आपके विचार से राजा जनक के सभासद लज्जित और मौन क्यों थे?

उत्तर – सभी सभासद जानते थे कि शरीर नश्वर है। ज्ञान की चर्चा में शरीर के रूप-रंग का कोई काम नहीं है। रूप-रंग या बनावट तो शरीर के धर्म हैं। आत्मज्ञान से उनका क्या लेना-देना? इतना सब जानते हुए भी सभा के लोग अष्टावक्र की विकलांगता पर हंस रहे थे। इसीलिए सब के सब लज्जित थे और राजा जनक मौन थे।


प्रश्न 7. राजा जनक के मन में ‘चर्मकारों की सभा वाली उक्ति क्यों खटक रही थी?

उत्तर – जिस प्रकार चर्मकार लोगों का उपहास उड़ाते हैं क्योंकि उन्हें कोई ज्ञान नहीं होता है। उसी प्रकार जब अष्टवक्र का सभा में मजाक बनाया जा रहा था तब उसने उस सभा को चर्मकारों की सभा कहा था। इसके उत्तर में सभी सभापति और राजा जनक भी मौन थे। इसीलिए राजा जनक के मन में चर्मकारों की सभा वाली बात खटक रही थी।


प्रश्न 8. ‘शिवसंकल्पयुक्त मन’ से क्या अभिप्राय है?

उत्तर – ‘शिवसंकल्पयुक्त मन’ से अभिप्राय एक ऐसे मन से है जिसमें सभी के लिए अच्छा करने का संकल्प हो।


प्रश्न 9. राजा जनक ने अनेक विद्वानों को बन्दी क्यों बनाया था व बाद में उन्हें क्यों मुक्त कर दिया ?

उत्तर – राजा जनक ने घोषणा करवाई कि जो विद्वान महाराज को ज्ञानोपदेश देकर सन्तुष्ट कर देगा, उसे आधा राज्य और बहुत-सा धन दिया जाएगा: यदि ज्ञानोपदेश सन्तोषजनक नहीं हुआ तो उसे कारागार में डाल दिया जाएगा। अष्टावक्र के पिता भी जनक के सभागार में गए परन्तु सन्तोषजनक ज्ञानोपदेश न दे पाने के कारण अन्य विद्वानों के साथ कारागार में डाल दिए गए। बाद में अष्टवक्र ने राजा जनक को संतोषजनक ज्ञानोपदेश दिया जिसके कारण राजा जनक ने अपनी गलती समझते हुए उन सभी विद्वानों को मुक्त कर दिया।


प्रश्न 10. नास्ति ज्ञानाद् ऋते मुक्तिः, इस पंक्ति का अर्थ स्पष्ट करो।

उत्तर – नास्ति ज्ञानाद् ऋते मुक्तिः, इस पंक्ति का अर्थ है — ज्ञान के बिना मुक्ति नहीं है। मुक्ति दिलाने वाला यह ज्ञान सात्त्विक ही हो


प्रश्न 11. कल्पना करो, आपकी भेंट एक ज्ञानी से होती है। आप उनसे अपनी किन-किन जिज्ञासाओं का समाधान चाहोगे?

उत्तर – छात्र स्वयं करें।


प्रश्न 12. यदि आपने कभी ज्ञानार्जन सम्बन्धी कोई घटना पढ़ी, सुनी या अनुभव की हो तो उसे अपने शब्दों में लिखो।

उत्तर – छात्र स्वयं करें।