सन्तुलित जीवन Class 12 नैतिक शिक्षा (उत्तरा) Chapter 3 Question Answer – HBSE आदर्श जीवन मूल्य Book Solution

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HBSE Class 12 Naitik Siksha Chapter 3 सन्तुलित जीवन Question Answer for Haryana Board of नैतिक शिक्षा Class 12th Book Solution.

सन्तुलित जीवन Class 12 Naitik Siksha Chapter 3 Question Answer


पाठ से-


प्रश्न 1 – ‘सन्तुलित जीवन’ पाठ में जीवन की विभिन्न परिस्थितियों में किस प्रकार का भाव रखने की प्रेरणा दी गई है?

उत्तर – ‘सन्तुलित जीवन’ पाठ में जीवन की विभिन्न परिस्थितियों में सम रहने का भाव रखने की प्रेरणा दी गई है। जीवन में चाहे सफलता मिले या असफलता, अनुकूल परिस्थिति हो या प्रतिकूल परिस्थिति हो हमें अपना धैर्य बनाए रखना चाहिए; हमें अपना उत्साह को नहीं छोड़ना चाहिए और आत्मविश्वास को टूटने नहीं देना चाहिए।


प्रश्न 2 – असफलता मिलने पर भी जीवन में हम कैसे आगे बढ़ सकते हैं? पाठ के आधार पर बताएँ।

उत्तर – यदि हम जीवन में लक्ष्य को प्राप्त करने में असफल रह जाते हैं, तब हमें याद रखना चाहिए कि इस एक असफलता से ही जीवन में आगे बढ़ने के सारे रास्ते बन्द नहीं हो गए हैं। हमें अपना धैर्य, उत्साह और आत्मविश्वास बनाए रखना चाहिए। हमें अपनी असफलता में छिपे सफलता के मन्त्र (अपनी त्रुटि, गलती या भूल) को पहचान कर फिर से उस लक्ष्य को प्राप्त करने का दृढ़ निश्चय करना चाहिए।


प्रश्न 3 – संतुलित जीवन जीने की प्रेरणा किन पंक्तियों से प्राप्त होती है? वर्णन करे।

उत्तर – संतुलित जीवन जीने की प्रेरणा निम्न पंक्तियों से प्राप्त होती है-
(i) अनूकूलता-प्रतिकूलता में भी सम रहने का स्वभाव बनाओ।
(ii) अनुकूलताओं और प्रतिकूलताओं के इतने आदी न हो जाओ कि तनिक-सी प्रतिकूलता भी विचलित कर दे।
(iii) महान वही है जो दोनों (अनुकूलता-प्रतिकूलता) में सन्तुलन बनाकर जीवन-यात्रा में आगे बढ़ता रहता है।


प्रश्न 4 – अनुकूलता और प्रतिकूलता में हमें किस प्रकार का संयमित व्यवहार करना चाहिए?

उत्तर – (क) अनुकूलता में हमारा संयमित व्यवहार-
(i) यदि परिस्थिति हमारे अनुकूल हो, तब हमें अधिक उतावला नहीं होना चाहिए।
(ii) तब हमें आवश्यकता से अधिक उत्तेजित, प्रसन्न तथा अति आत्मविश्वासी नहीं होना चाहिए।

(ख) प्रतिकूलता में हमारा संयमित व्यवहार-
(i) यदि परिस्थिति हमारे प्रतिकूल हो, तब हमें अपना धैर्य बनाए रखना चाहिए।
(ii) हमें अपना उत्साह नहीं छोड़ना चाहिए।
(iii) हमें सहनशीलता का त्याग नहीं करना चाहिए।
(iv) हमें मन में निराशा, हताशा व उदासी के भाव नहीं पनपने देने चाहिएँ।


प्रश्न 5 – पाठ के आधार पर योग की परिभाषा बताएँ।

उत्तर – पाठ के आधार पर हम योग को इस परिभाषित कर सकते हैं कि “सफलता असफलता, सिद्धि-असिद्धि अनुकूलता-प्रतिकूलता में समान बुद्धि रखकर उन्हें समत्व भाव से ग्रहण करने (मन की समता) का नाम ही योग है।”


आपकी समझ-


प्रश्न 1 – मकड़ी के उदाहरण के माध्यम से आप क्या सीखते हैं? अपने विचार प्रकट करें।

उत्तर – मकड़ी के उदाहरण के माध्यम से मैंने यह सीखा कि-
(i) अपना लक्ष्य प्राप्त करने के लिए हमें दृढ़ निश्चय करना चाहिए।
(ii) अपना लक्ष्य प्राप्त करने में यदि हमारा पहला प्रयास असफल रहता है, तब हमें दुबारा प्रयास करना चाहिए।
(iii) हमें अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए तब तक प्रयास करते रहने चाहिएँ जब तक कि हम उसे प्राप्त न कर लें।