खेती से अर्जित गौरव और समृद्धि Class 12 नैतिक शिक्षा (उत्तरा) Chapter 7 Explain – HBSE आदर्श जीवन मूल्य Book Solution

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खेती से अर्जित गौरव और समृद्धि Class 12 Naitik Siksha Chapter 7 Explain


प्रिय बच्चो! इस संसार में प्रत्येक व्यक्ति किसी न किसी काम-धंधे को अपनाकर अपने परिवार का पालन-पोषण करता है। ऐसे काम-धंधों में खेती-बाड़ी भी शामिल है। आधुनिक समय में बहुत-से किसान ऐसे हैं, जो खेती में कुछ नया करके अच्छी खासी कमाई कर रहे हैं। नित्य ऐसे उदाहरण सामने आ रहे हैं कि अच्छी खासी कंपनी, लाखों रुपए के वेतन वाली नौकरी और शहरी आवास को छोड़कर युवा खेती की ओर उन्मुख हो रहे हैं तथा किसान बन रहे हैं। हम यहाँ दो युवाओं की लघु कहानियों के बारे में पढ़ेंगे।

अंजली पटेल – अंजली का जन्म केरल राज्य में हुआ। जन्म के कुछ समय बाद उसने नासिक में रहना शुरू कर दिया था। वह अपनी गर्मियों की छुट्टियाँ पड़ते हो केरल जाया करती थी। उसका बचपन केरल की पहाड़ियों और खेतों में बीता। यहाँ की खेती के तौर-तरीकों को उसने बचपन से ही सीखना शुरू कर दिया था। अंजली को शुरू से ही खेती करने में और किसान बनने में बहुत ज्यादा रुचि थी। जब अंजली 5 साल की मासूम और छोटी बच्ची थी तभी उसके पिता का निधन हो गया। माँ और भाई ने छोटी-सी अंजली को पाला और बड़ा किया। उसने वर्ष 2003 में बी.एस.सी. की और फिर वह वर्ष 2007 में इंटरनेशनल बिजनेस में एम.बी.ए. करने के लिए चेन्नई चली गई। एम.बी.ए. करने के बाद उसने 12 साल तक क्लिनिकल रिसर्च इंडस्ट्री में नौकरी की। एक प्रतिष्ठित टेक कंपनी की अच्छी खासी नौकरी छोड़कर अंजली ने खेती करना शुरू किया, नए तौर तरीकों से सब्जियाँ उगाना शुरू किया। आज अंजली एक सफल किसान है। वह अपने खेती से करीब 4 करोड़ रुपए सालाना तक का व्यापार भी कर रही है।

रघुराज सोलंकी – अंजली पटेल की कहानी की तरह ही राजस्थान के अजमेर जिले में रहने वाले रघुराज सोलंकी की कहानी बड़ी दिलचस्प है। प्यारे बच्चो! यदि कोई व्यक्ति आपसे अच्छी-खासी सरकारी नौकरी छोड़कर खेती करने की सलाह दे तो शायद आपको बहुत अटपटा लगेगा। परंतु इस कहानी के नायक रघुराज ने एक-दो नहीं बल्कि तीन-तीन सरकारी नौकरियाँ छोड़ दीं। उन्होंने खेती को अपना व्यवसाय बनाया और आज लाखों रुपये भी कमा रहे हैं। यद्यपि 29 साल के रघुराज के लिये यह सब कर पाना इतना आसान भी नहीं था। अपने इस फैसले के लिए उसने लोगों के ताने तो सुने ही, साथ ही उसके परिवार ने भी उसका साथ छोड़ दिया। लेकिन रघुराज को स्वयं पर और अपने फैसले पर पूरा भरोसा था। परंपरागत खेती में कुछ नया सीखने के लिए वह 7 साल पहले महाराष्ट्र गया। उसने कई अलग-अलग जगहों से खेती की बारीकियाँ सीखीं और फिर इजरायली मल्टी क्रॉप पद्धति से उसने अपने गाँव की 26 एकड़ भूमि में सोयाबीन की खेती शुरू की।

प्यारे बच्चो! रघुराज सोलंकी ने सोयाबीन की खेती करने के लिए सरकारी नौकरी छोड़ दी। रघुराज ने पहली बार 4 लाख रुपये खर्च किए, लेकिन उसने इससे तकरीबन 38 रुपये लाख रुपये का मुनाफा कमाया। इस बार उसने दस तरह की बेमौसमी सब्जियाँ उगाई, जिससे उसे एक करोड़ की कमाई का अंदाजा है। आज वे खेती के जरिए न सिर्फ खुद अच्छी कमाई कर रहे हैं बल्कि अपने खेत में 40 लोगों को रोजगार भी दिया है।

प्यारे बच्चो! रघुराज सोलंकी ने इसके साथ ही डेयरी फार्म भी लगा रखी है। आज उसके पास 23 किस्म की भैंसें व गायें हैं, जिनके दूध को वह बड़ी डेयरियों में भेजता है। रघुराज का मानना है कि सोशल मीडिया के जरिए आज के युवा बहुत कुछ सीख सकते हैं। इसका सही उपयोग उनके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। आज रघुराज को उसके गाँव में लोग वैज्ञानिक के नाम से बुलाते हैं और निकट भविष्य में उसका वेजिटेबल हार्वेस्टिंग कंपनी शुरू करने का प्लान है। सामान्यतया ऐसा माना जाता है कि खेती में हमेशा किसानों को मुनाफा नहीं मिलता और किसान कभी बहुत ज्यादा अमीर नहीं बन सकता। रघुराज की कहानी एक उदाहरण है कि अगर सही तकनीक सीखकर उसे अपनाया जाए, तो खेती में घाटा नहीं, बल्कि मुनाफा ही मुनाफा है।