अच्छाई पर दृढ़ रहो Class 9 नैतिक शिक्षा (मध्यमा ) Chapter 4 Question Answer – HBSE Solution

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HBSE Class 9 Naitik Siksha Chapter 4 अच्छाई पर दृढ़ रहो Question Answer for Haryana Board of नैतिक शिक्षा Class 9th Book Solution.

अच्छाई पर दृढ़ रहो  Class 9 Naitik Siksha Chapter 4 Question Answer


पाठ से-


प्रश्न 1. भगवद्गीता की महत्त्वपूर्ण विशेषता क्या है?

उत्तर – भगवद्‌गीता की मुख्य विशेषता दृष्टांत के द्वारा सिद्धांत को स्पष्ट करना है। गीता में ऐसे अनेक भाव हैं, जिन्हें समझने में कुछ कठिनाई महसूस हुई या गीता उपदेष्टा भगवान् श्रीकृष्ण को ऐसा लगा कि इस विषय को सहजता व सरलता से अच्छी और व्यापक प्रेरणा बनाए जाने की आवश्यकता है, वहाँ कोई सरल व्यावहारिक दृष्टांत साथ जोड़ दिया। यहाँ इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए कमल के पत्ते का उदाहरण दिया गया है।


प्रश्न 2. कमल के पत्ते से हमें क्या प्रेरणा मिलती है?

उत्तर – कमल के पत्ते से हमें प्रेरणा मिलती है कि जिस प्रकार वह जल से उत्पन्न होकर और जल में रहकर भी जल से निर्लिप्त रहता है, उसी प्रकार हमें भी अपने कर्म करते रहना चाहिए। कहने का भाव है कि जिस प्रकार कमल का पत्ता अपने आसपास निहित जल से अस्पृश्य रहता है, उसी प्रकार व्यक्ति को बिना किसी आसक्ति या मोह से रहित होकर कर्म करते रहना चाहिए।


प्रश्न 3. सज्जन पुरुषों व साँप के मुख में पड़ी मणि में क्या समानता है?

उत्तर- सज्जन पुरुषों व साँप के मुख में पड़ी मणि में यह समानता है कि ये दोनों अनुकूल या प्रतिकूल हर परिस्थिति में एक-समान रहते हैं। ये कभी भी अपने स्वभाव को नहीं छोड़ते। उदाहरण के लिए, सज्जन का काम है- अपनी सज्जनता व सद्व्यवहार की छाप छोड़ना। वह चाहे सज्जनों के बीच में रहे, चाहे दुर्जनों के बीच में। वह हमेशा सद्व्यवहार की ही छाप छोड़ेगा। इसी प्रकार मणि का काम है अपनी चमक एवं प्रकाश को बिखेरना। वह साँप के मुख में रहती है जहाँ हमेशा विंष ही रहता है। परंतु मणि पर विष का प्रभाव नहीं पड़ता। वह हमेशा अपने प्रकाश को बिखेरती रहती है।


आपकी समझ –


प्रश्न 1. व्यक्ति को दुनिया में कैसे रहना चाहिए?

उत्तर- व्यक्ति को दुनिया में ‘पद्मपत्रमिवाम्भसा’ अर्थात् तालाब के जल में रहने वाले कमल के पत्ते के समान रहना चाहिए। जिस प्रकार कमल का पत्ता अपने आस-पास निहित तालाब के जल से अस्पृश्य (स्पर्श-रहित) रहता है उसी प्रकार व्यक्ति को भी बिना किसी आसक्ति या मोह से रहित होकर कर्म करते रहना चाहिए।


प्रश्न 2. आसपास के वातावरण के प्रभाव से बचने का क्या उपाय है?

उत्तर- आसपास के वातावरण के प्रभाव से बचने का सबसे मुख्य उपाय है- आत्मविश्वास और दृढ़ निश्चय। हम जहाँ भी जाएँ, जहाँ भी रहें- हमारा बड़प्पन और महानता इसी में है कि हम अपनी अच्छाई का प्रभाव दूसरों पर डालें। किसी की बुराई को अपने ऊपर हावी न होने दें। ऐसा हम तभी कर सकते हैं जब हमारे अंदर आत्मविश्वास की भावना प्रबल हो। हम अपने दृढ़ निश्चय से कभी भी विचलित न हों।


प्रश्न 3. विभीषण और विदुर दूषित वातावरण के प्रभाव से कैसे बच निकले ?

उत्तर- विभीषण लंका में रहकर अपनी अच्छाई और सच्चाई से विचलित नहीं हुए जिससे वे लंका के दूषित वातावरण के प्रभाव से बच निकले। इसी प्रकार विदुर अपनी सत्य-निष्ठा पर अडिग रहे। उन्होंने हस्तिनापुर के दूषित वातावरण में भी कौरवों के दुष्प्रभाव से अपने को मुक्त रखा जिस कारण आज भी उनका सम्मान सुरक्षित है।