कचरा से कंचन  Class 9 नैतिक शिक्षा (मध्यमा ) Chapter 6 Explain – HBSE Solution

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कचरा से कंचन Class 9 Naitik Siksha Chapter 6 Explain


समस्या से समाधान, समाधान से कमाई का प्रावधान

पर्यावरण के विषय में लगातार चिंतन के उपरान्त दो युवकों ने कुछ नया करने के विषय में सोचा। उन्होंने एक ऐसी कंपनी खड़ी कर दी जो वैज्ञानिक तरीके से ई-कचरे का निपटान कर रही है। उनकी जिद से उन्हें उद्यमिता का नया विचार मिला। उन्होंने समस्या को समाधान में बदल दिया और कचरे से कंचन बनाने का काम शुरू किया।

वर्ष 2007 में नवीन और रवि अपने पुराने लैपटॉप के लिए एक ऐसे पुनर्चक्रक की तलाश कर रहे थे जो ई-कचरे का पर्यावरण के अनुकूल निपटान करता हो। वे कुछ महीनों तक लगातार इस विषय पर शोध करते रहे और स्वयं की एक प्रतिष्ठित अनन्या कंपनी खड़ी कर दी। उनकी यह पुनर्चक्रण कंपनी, इलेक्ट्रॉनिक्स स्क्रैप; जैसे टेलीविजन सेट, कंप्यूटर मॉनिटर, प्रिंटर, स्कैनर, की-बोर्ड, माइक, केबल, सर्किट बोर्ड, लैंप, कैलकुलेटर, फोन, आंसरिंग मशीन, डीवीडी जैसे अनेकों ही उत्पादों को वैज्ञानिक तरीके से पुनर्चक्रण कर उनका निपटान कर रही है।

जहाँ नवीन ने आईआईटी दिल्ली से इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की है, वहीं रवि ने एन.आई.टी., जयपुर से केमिकल इंजीनियरिंग में डिग्री ली हुई है। उन्होंने अपनी योग्यता को एक विशेष पुनर्चक्रण प्रक्रिया तैयार करने में लगा दिया।

उनकी यह तकनीक मैकेनिकल और हाइड्रो मेट्रोलॉजिकल तकनीक का मिश्रण है, जो बहुत ही कम कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन के साथ ई-कचरे से 98 प्रतिशत तक धातु निकाल सकती है। कंपनी ने प्रिंटेड सर्किट बोर्ड पुनर्चक्रण जैसे तरीकों को अपनाया, जिससे वे प्रिंटेड सर्किट बोर्ड से ताँबा, चाँदी, सोना, एल्यूमीनियम, लीथियम, कोबाल्ट, मैंगनीज, निकेल और टिन/लैंड सोल्डर ड्रॉस से टिन निकालते हैं। वे प्लैटिनम, पैलेडियम और मैग्नेट से दुर्लभ नियोडिमियम निकालने के लिए कैटालिक कन्वर्टर का इस्तेमाल करते हैं। इन सभी पुनर्चक्रण धातुओं को बाजार में उचित मूल्य पर बेचा जाता है।

ई-कचरे को लेकर की भविष्यवाणी- ग्लोबल ई-वेस्ट मॉनिटर 2020 की रिपोर्ट के अनुसार प्रत्येक वर्ष दुनिया भर में लगभग 5.36 करोड़ टन ई-कचरा पैदा होता है। इस मामले में भारत का तीसरा सबसे बड़ा स्थान है, जहाँ हर साल करीव 32 लाख टन ई-कचरा जनरेट होता है। चीन और अमेरिका के बाद भारत ई-कचरा जनरेट करने में दुनिया में तीसरे नंबर पर है।

संयुक्त राष्ट्र संघ ने चेतावनी दी थी कि यदि आने वाले समय में कचरे से निपटने के लिए कोई सख्त कदम नहीं उठाया गया तो पूरी दुनिया में कचरे की सुनामी आ जाएगी। वर्तमान समय में विश्व स्तर पर केवल 20 प्रतिशत कचरे को ही पुनर्चक्रित किया जा रहा है।

रिपोर्ट के अनुसार, यह ई-कचरा इतना अधिक है कि इससे 1,25,000 जंबो जेट बनाए जा सकते हैं। यदि अभी इसका, अंदाजा लगाना मुश्किल हों रहा है तो आप यह जान लीजिए कि यह 4500 एफिल टावर जितना बड़ा कचरा है।

एक स्थाई समाधान – वास्तव में अनन्या पुनर्चक्रण दोहरा मॉडल है। एक तरफ यह कंपनी कचरा खरीदती है और दूसरी तरफ इस कचरे से निकली धातुओं को बेचकर पैसा कमाती है। यह कंपनी अपनी क्षमता के अनुसार सीएफएल बल्ब से लेकर औद्योगिक उपकरण तक 20 तरह के ई-कचरे का निपटान करती है। यह कंपनी प्रतिवर्ष 1,44,000 टन कचरे का निपटान करने की क्षमता रखती है।

इसी प्रकार हरियाणा के फरीदाबाद में स्थित निर्मला ई-वेस्ट यूनिट में देश- भर से लगभग 10 टन ई-वेस्ट को प्रतिदिन रीसाइकल किया जा रहा है। युवा उद्यमी अतुल ने 2015 में स्टार्टअप स्थापित किया था। इस यूनिट में अब तक करीब नौ हजार टन ई-कचरे का प्रबंधन किया जा चुका है। यहाँ पूरे देश से ई-कचरा एकत्र करने की व्यवस्था की गई है। इस यूनिट द्वारा जारी किए गए फोन नंबर पर कॉल करके आप ई-कचरा ले जाने के लिए कह सकते हैं। फोन करने के चार दिन के अंदर निर्मला ई-वेस्ट की स्थानीय टीम आपके घर से ही ई-कचरा उठाकर ले जाएगी।

पर्यावरण का संरक्षण हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है। हमें इसके लिए प्रयास करके स्थाई तरीके को अपनाना होगा। आइए, हम अपने पर्यावरण और समाज को स्वच्छ बनाने और ई-कचरे को वैज्ञानिक तरीके से पुनर्चक्रण करने का संकल्प लें।