आधार पक्का-जीवन अच्छा Class 10 नैतिक शिक्षा (मध्यमा ) Chapter 1 Question Answer – HBSE Solution

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HBSE Class 10 Naitik Siksha Chapter 1 आधार पक्का-जीवन अच्छा Question Answer for Haryana Board of नैतिक शिक्षा Class 10th Book Solution.

आधार पक्का-जीवन अच्छा Class 10 Naitik Siksha Chapter 1 Question Answer


पाठ से-


प्रश्न 1. गीता में प्रयोग किए गए ‘युद्ध’ शब्द का अर्थ आज के सन्दर्भ में कैसे लिया जा सकता है?

उत्तर- गीता में प्रयोग किए गए ‘युद्ध’ शब्द का अर्थ आज के सन्दर्भ में इस रूप में लिया जा सकता है कि जीवन में किसी भी रूप में चुनौती आती ही है। इसके साथ ही जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में कुछ-न-कुछ संघर्ष साथ रहते ही हैं। कभी कुछ अनुकूलता तो कभी प्रतिकूलता, कभी सकारात्मकता तो कभी नकारात्मकता, कभी शुभ तो कभी अशुभ। जीवन में ये सभी संघर्ष एक युद्ध के रूप में ही होते हैं।


प्रश्न 2. जीवन का आधार ‘नित्य एवं अनित्य’ के सन्दर्भ में स्पष्ट करें ।

उत्तर – सृष्टि और जीवन के आधार परमात्मा हैं जो कि नित्य हैं। सृष्टि चक्र की तरह परिवर्तित होती रहती है जबकि इसका संचालन करने वाले परमात्मा नित्य एवं स्थिर हैं। सृष्टि में सभी वस्तुएँ अनित्य एवं परिवर्तनीय हैं। दिन-रात, सर्दी-गर्मी, बचपन, यौवन, वृद्धावस्था, संयोग-वियोग, आना-जाना ये सब कुछ अनित्य रूप में सृष्टि के साथ जुड़ा हुआ है, जबकि आधार-स्वरूप परमात्मा नित्य हैं जो इन सबका संचालन करते हैं।


प्रश्न 3. ईश्वर ही अपरिवर्तनीय सत्ता है, इसे उदाहरण देकर सिद्ध करें ।

उत्तर – सृष्टि परिवर्तन के इस क्रम में एकमात्र ईश्वर की सत्ता है, जो शाश्वत, स्थिर एवं अपरिवर्तनीय है। इस बात को तो विज्ञान भी सिद्ध कर चुका है कि परिवर्तन तभी संभव है जब आधार अपरिवर्तनीय हो। पंखा तभी चलता है जब बीच में धुरी (axel) स्थित होती है। उसके चारों ओर पंखे के पर (Blades) घूमते हैं। किसी भी वाहन के पहिए तभी घूमते हैं जब मध्य में स्थिर धुरी होती है। इसी प्रकार निरंतर परिवर्तनशील इस संसार की धुरी परमात्मा है, जिसके आधार पर यह संसार चल रहा है।


प्रश्न 4. गीता का श्लोक ‘सर्वेषु कालेषु मामनुस्मर युध्य च’ किस प्रकार प्रेरणा देता है?

उत्तर- “सर्वेषु कालेषु मामनुस्मर युध्य च” यह कथन भगवद्‌गीता की एक अद्भुत प्रेरणा है जो कहीं भी, कभी भी, किसी के भी जीवन का मजबूत आधार बन सकती है। भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं तू हर समय मेरा स्मरण करते हुए युद्ध कर। भगवान् ने यह बात महाभारत के युद्ध के समय कही थी। लेकिन मन में यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि अब कौन-सा युद्ध, कैसा युद्ध? यहाँ युद्ध से अभिप्राय वस्तुतः जीवन में आने वाली किसी भी चुनौती या संघर्ष से है, क्योंकि जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में कुछ-न-कुछ संघर्ष साथ रहता ही है। कभी अनुकूलता तो कभी प्रतिकूलता, कभी सकारात्मकता तो कभी नकारात्मकता, कभी शुभ, कभी अशुभ। ये सभी महाभारत के ही एक रूप हैं।


प्रश्न 5. उत्साहपूर्वक जीवन जीने से क्या लाभ मिलता है?

उत्तर- उत्साहपूर्वक जीवन जीने से हमें यह लाभ मिलता है कि हम जीवन के हर क्षेत्र में उन्नति कर सकते हैं; चाहे पढ़ाई में अधिक अंक लाने की बात हो, किसी परीक्षा की तैयारी की बात हो अथवा अपने लक्ष्य को प्राप्त करने की बात हो या अन्य कोई भी कार्य हो। यदि हम उसे उत्साह से करेंगे तो हमें उसमें अवश्य ही सफलता मिलेगी।  प्रत्येक कार्य में सफलता के लिए उत्साह का होना अति आवश्यक है। अतः हमें प्रत्येक कार्य उत्साहपूर्वक करना चाहिए।


प्रश्न 6. आपकी कक्षा में कुछ बच्चे समान मेहनत करते हैं, परंतु सभी की उपलब्धि में अंतर होता है। इसके क्या कारण हो सकते हैं?

उत्तर- यह बात बिल्कुल सही है कि मेरी कक्षा में सभी बच्चे एक-समान मेहनत करते हैं, परंतु सभी की उपलब्धि में अंतर होता है। इसके अनेक कारण हो सकते हैं। इसमें से एक कारण है प्रतिभा जो कि जन्मजात होती है। कुछ बच्चे तो जन्मजात प्रतिभावान होते हैं। इस कारण ऐसे बच्चों की उपलब्धि में अंतर रहता है। दूसरा कारण यह है कि बच्चा अपनी मेहनत किस प्रकार से कर रहा है। मेहनत करते हुए उसके मन में दुविधा, चिंता आदि तो नहीं है। वह पूरे उत्साह और लगन से मेहनत कर रहा है कि नहीं। मेहनत के लिए उसके परिवार का वातावरण किस प्रकार का है। इन सभी कारणों से एक-समान मेहनत करने वाले बच्चों की उपलब्धि में अंतर आ जाता है।