Class | 12 |
Textbook | NCERT |
Book | आरोह भाग 2 |
Category | Important Questions |
Class 12 Hindi Chapter 13 पहलवान की ढोलक Important Question Answer
प्रश्न 1. ‘पहलवान की ढोलक’ कहानी का उद्देश्य लिखिए। Most Important
OR
‘पहलवान की ढोलक’ कहानी में निहित सन्देश एवं उद्देश्य को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – प्रस्तुत कहानी में व्यवस्थाओं के परिवर्तन के पश्चात् की समस्याओं को स्पष्ट किया गया है। बदलते समय में लोक-कला और कलाकार अप्रासंगिक हो जाते हैं। प्रस्तुत कहानी में राजा साहब की जगह नए राजकुमार का आकर जम जाना सिर्फ व्यक्तिगत सत्ता परिवर्तन नहीं, बल्कि जमीनी पुरानी व्यवस्था के पूरी तरह उलट जाने और उस पर सभ्यता के नाम पर एकदम नयी व्यवस्था के आरोपित हो जाने का प्रतीक है। लुट्टन पहलवान को लोक कलाकार के आसन से उठाकर पेट भरने के लिए हाय-तौबा करने वाली कठोर भूमि पर पटक देती है। मनुष्यता की साधना और जीवन-सौन्दर्य के लिए लोक कलाओं को प्रासंगिक बनाये रखने हेतु सबकी क्या भूमिका है ऐसे कई प्रश्नों को व्यक्त करना इस कहानी का उद्देश्य है।
प्रश्न 2. पहलवान की ढोलक का पूरे गाँव पर क्या असर होता था ? Most Important
उत्तर – जब सारे गांव में हैजा और मलेरिया नामक महामारी फैली तब पहलवान की ढोलक रात की विभीषिका को तोड़ने का काम करती थी। ढोलक की आवाज पूरे गांव वालों में धैर्य, साहस और स्फूर्ति प्रदान करती थी। ढोलक की आवाज सुनकर बच्चे, जवान और बुढों की आंखों के सामने दंगल का दृश्य होता था। इस आवाज को सुनने से लोग मृत्यु से भी नहीं डरते थे। ढोलक की आवाज सुनकर लोगों के मन में जीने की एक नई उमंग जागृत हो जाती थी।
प्रश्न 3. लुट्टन सिंह की पहलवानी का वर्णन कीजिए
उत्तर – लुट्टन पहलवान जब पहली बार पहलवानी करने दंगल में जाता है, तो एकमात्र ढोल की आवाज़ होती है, जो उसे अपना साहस बढ़ाती नज़र आती है। ढोल की हर थाप में वह एक निर्देश सुनता है, जो उसे अगला दाँव खेलने के लिए प्रेरित करती है। लुट्टन सिंह ने अपने शुरुआती खेल में ही शेर का बच्चा कहे जाने वाले पहलवान चांद सिंह को भी हरा दिया था। लुट्टन पहलवान लगातार 15 सालों तक बहुत सारे पहलवानों को हराता रहा और प्रसिद्ध हो गया।
प्रश्न 4. राजदरबार से निकाले जाने के बाद लुट्टन पहलवान और उसके बेटों की आजीविका कैसे चलती थी ?
उत्तर – राजदरबार से निकले जाने के बाद लुट्टन पहलवान अपने दोनों बेटों के साथ गांव लौट आया और वहीं रहने लगा। वहां गांव वालों ने एक झोपड़ी उसके लिए बांध दी। उसने गांव के बच्चों को कुश्ती सीखने के लिए स्कूल खोला लेकिन गांव वाले वाले कुश्ती सीख कर क्या कर लेते हैं। वह स्कूल खाली पढ़ रहा। पहलवान के दोनों बेटे दिन भर मजदूरी करके जो कुछ भी लाते हैं उसी से उनका गुजारा होता था।
प्रश्न 5. लुट्टन सिंह ने चाँद सिंह को किस प्रकार हराया ?
उत्तर – लुट्टन सिंह ने शेर के बच्चे के नाम से पहचाने जाने वाले पहलवान चांद सिंह को चुनौती दे दी। चांद सिंह ने उसकी चुनौती स्वीकार की और मुकाबला शुरू हुआ। लुट्टन बड़ी ही सफाई से आक्रमण को संभालकर उठ खड़ा होता। लेकिन एक बार चांद सिंह ने उसे पकड़ लिया और उसे बेहोश करने की कोशिश करने लगा। लुट्टन पहलवान की छाती फटने को हो रही थी और आंखें बाहर निकल रही थी। लेकिन उसने ढोल की आवाज पर अपने लुट्टन को प्रोत्साहित किया और चांद सिंह का दांव काट दिया। लुट्टन ने चालाकी से दाँव और जोर लगाकर चांद को जमीन पर गिरा दिया और उसे चारों खाने चित्त कर दिया। इस प्रकार लुट्टन सिंह ने शेर के बच्चे कहे जाने वाले चाँद सिंह को हरा दिया।
प्रश्न 6. लुट्टन सिंह के जीवन की त्रासदी का वर्णन कीजिए।
उत्तर – लुट्टन पहलवान के माता-पिता उसे नौ वर्ष की आयु में छोड़कर चल बसे लेकिन उसकी शादी हो चुकी थी। विधवा सास ने उसका पालन पोषण किया। पहलवान चांद सिंह को हराने के बाद लुट्टन को दरबार में जगह मिल गई लेकिन जब राजा की मृत्यु हुई और नए राजकुमार आए तो उन्होंने उसे राज दरबार से निकाल दिया। वह अपने दोनों पुत्रों के साथ गांव लौट आया और वहीं रहने लगा। वहां गांव वालों ने एक झोपड़ी उसके लिए बांध दी। उसने गांव के बच्चों को कुश्ती सीखने के लिए स्कूल खोला लेकिन वह खाली पढ़ रहा। एक बार गांव में अनाज की कमी हो गई और साथ ही महामारी भी फैल गई। लुट्टन सिंह के दोनों बेटे इस महामारी में चल बसे और पहलवान अकेला हो गया।
प्रश्न 7. गांव में महामारी फैलने और बेटों के देहांत के बावजूद लुट्टन पहलवान ढोल क्यों बजता रहा?
उत्तर – जब गांव में महामारी फैली तो सारा गांव हैजा और मलेरिया से ग्रस्त था। गांव में चारों ओर हाहाकार मचा हुआ था। घर के घर खाली हो रहे थे। रात के समय चारों ओर सन्नाटा हो जाता था। उसी रात की विभीषिका को तोड़ने और लोगों के जीवन में उमंग पैदा करने के लिए लुट्टन पहलवान ढोल बजाता था। लेकिन जब उसके दोनों बेटे भी इसी महामारी के चपेट में आ गए तब भी वह ढोल बजता रहा। लोटन पहलवान ने ऐसा इसीलिए किया क्योंकि उसके बेटों ने उसे उठा-पटक दो वाली ताल बजाने को कहा था। वह अपनें बेटों की अंतिम इच्छा पूरी करने के लिए उनकी मृत्यु के उपरांत भी ढोल बजाता रहा।
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