कार्य में कुशलता लाएँ Class 12 नैतिक शिक्षा (उत्तरा) Chapter 4 Question Answer – HBSE आदर्श जीवन मूल्य Book Solution

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HBSE Class 12 Naitik Siksha Chapter 4 कार्य में कुशलता लाएँ Question Answer for Haryana Board of नैतिक शिक्षा Class 12th Book Solution.

कार्य में कुशलता लाएँ Class 12 Naitik Siksha Chapter 4 Question Answer


पाठ से – 


प्रश्न 1 – मनोनुकूल परिणाम पाने के लिए आप क्या-क्या करते हैं? पाठ के आधार पर बताएँ।

उत्तर – मन के अनुकूल परिणाम पाने के लिए मैं निम्नलिखित प्रयास करता हूँ
(i) मैं अपने प्रत्येक कर्म में अपनी पूरी योग्यता व क्षमता को झोंक देता हूँ।
(ii) मैं अपने प्रत्येक कर्म के साथ न्याय करता हूँ।
(iii) मैं अपने किसी भी कर्म को औपचारिक रूप नहीं देता हूँ।


प्रश्न 2 – एकाग्रचित व्यक्ति जीवन में किस प्रकार सफलता प्राप्त करता है? उदाहरण दें।

उत्तर – एकाग्रचित व्यक्ति के मन में न तो भय, आशंका और न ही आक्रोश उत्पन्न होता है। वह जानता है कि भय और आक्रोश उसकी एकाग्रता भंग कर देते हैं और उसके आत्मविश्वास और उसकी शान्ति को नष्ट कर देते हैं। उदाहरण- यदि विद्यार्थी एकाग्रचित होकर अपनी पढ़ाई करता है और अपनी पढ़ाई के प्रति न्याय करता है, तब उसमें आत्मविश्वास जाग्रत होगा। उसे परीक्षा में कम अंक प्राप्त करने का न तो भय होगा और न ही आशंका होगी। अतः वह परीक्षा के दौरान पूरे आत्मविश्वास तथा एकाग्रता के साथ प्रश्नों को हल करेगा। अन्ततः वह अच्छे अंकों के साथ उत्तीर्ण होकर अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लेगा।


प्रश्न 3 – पाठ के आधार पर बताएँ कि प्रेम और मोह में क्या अंतर हैं?

उत्तर – ‘कार्य में कुशलता लाएँ’ पाठ के आधार पर हम कह सकते हैं कि प्रेम और मोह में निम्नलिखित अंतर हैं-
(i) प्रेम में मनुष्य को दूसरों के सुख की चिन्ता होती है, जबकि मोह में मनुष्य अपनी सुख-सुविधा की चिंता करता है।
(ii) प्रेम में मनुष्य दूसरे लोगों के प्रति अपने कर्त्तव्य का पालन करता है, जबकि मोह में मनुष्य दूसरे लोगों से सुख की उम्मीद रखता है।
(iii) जहाँ प्रेम होता है, वहाँ भय ओर क्रोध का होना आवश्यक नहीं है, जबकि जहाँ मोह होता है वहाँ भय और क्रोध होते ही हैं।


प्रश्न 4 – विपरीत परिस्थितियों में भी स्वामी विवेकानन्द अपने किन गुणों के कारण आगे बढ़ते रहे?’

उत्तर – विपरीत परिस्थितियों में भी स्वामी विवेकानन्द अपने संयम, धैर्य, निर्भीकता और आत्मविश्वास के गुणों के कारण आगे बढ़ते रहे।


प्रश्न 5 – जीवन की सबसे बड़ी सम्पदा क्या है? ‘कार्य में कुशलता लाएँ’ पाठ के आधार पर बताएँ।

उत्तर – ‘कार्य में कुशलता लाएँ’ पाठ के आधार पर हम कह सकते हैं कि एकाग्रता ही जीवन की सबसे बड़ी सम्पदा है। इसका मुख्य कारण यही है कि जिस व्यक्ति में एकाग्रता होती है, वह अपने कर्म में सफलता अवश्य प्राप्त करता है। एकाग्रता के अभाव में मनुष्य भय, आशंका, क्रोध आदि से ग्रस्त हो जाता है। ऐसी दशा में वह अपना आत्मविश्वास व अपनी भीतरी शान्ति को खो देता है।


आपकी समझ- 


प्रश्न 1 – ‘गीता’ में सच्चा कर्मयोगी किसे कहा गया है और क्यों?

उत्तर – ‘श्रीमद्भगवद्गीता’ में सच्चा कर्मयोगी उस मनुष्य को कहा गया है जो अपने प्रत्येक कर्म को उचित ईमानदारी और पूरी निष्ठा से करता है। जो अपने प्रत्येक कर्म को पूरी क्षमता व योग्यता से करता है। जो अपने कर्म को न तो छोटा या बड़ा समझता है और न ही उसमें किसी प्रकार का दिखावा करता है। इसका कारण यही है कि ‘श्रीमद्भगवद्‌गीता’ में कर्मों में कुशलता को ही योग माना गया है। सच्चे कर्मयोगी के उपर्युक्त लक्षण ही वास्तव में कर्मों में कुशलता को दर्शाते हैं।